गुरु चरनन में ध्यान लगाऊं।
ऐसी सुमति हमे दो दाता ॥


मैं अधमाधम पतित पुरातन।
किस विधि भव सागर तर पाऊं ।

ऐसी दृष्टि हमें दो दाता।
खेवन हार गुरु को पाऊं ॥

गुरु चरनन में ...


गुरुपद नख की दिव्य ज्योति से।
निज अन्तर का तिमिर मिटाऊं ।

गुरुपद पदम पराग कणों से।
अपना मन निर्मल कर पाऊं ॥

गुरु चरनन में ...


शंखनाद सुन जीवन रन का
धर्म युद्ध में मैं लग जाऊं ।

गुरुपद रज अंजन आँखिन भर।
विश्वरुप हरि को लख पाऊं ॥

गुरु चरनन में ...


भटके नहीं कहीं मन मेरा।
आँख मूंद जब उनको ध्याऊं ।

पीत गुलाबी शिशु से कोमल।
गुरु के चरन कमल लख पाऊं ॥

गुरु चरनन में ध्यान लगाऊं ॥

Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel

Books related to भजन


चिमणरावांचे चर्हाट
नलदमयंती
सुधा मुर्ती यांची पुस्तके
झोंबडी पूल
सापळा
श्यामची आई
अश्वमेध- एक काल्पनिक रम्यकथा
गांवाकडच्या गोष्टी
खुनाची वेळ
मराठेशाही का बुडाली ?
कथा: निर्णय
लोकभ्रमाच्या दंतकथा
मृत्यूच्या घट्ट मिठीत
पैलतीराच्या गोष्टी
शिवाजी सावंत