गुरु बिन कौन सम्हारे ।
को भव सागर पार उतारे ॥

टूटी फूटी नाव हमारी
पहुँच न पाई तट पर ।
जैसे कोई प्यासा राही ।
भटक गया पनघट पर ।
पास खड़ा गुरु मुस्काता है ।
दोनों बाँह पसारे।
वो भवसागर पार उतारे ।
गुरु बिन ...

मेरे राम मुझे शक्ति दो ।
मन में मेरे दृढ़ भक्ति दो ।
राम काम मैं करूँ निरंतर ।
राम नाम चित धारे।
को भव सागर पार उतारे ।
गुरु बिन ...

जीवन पथ की उलझन लख कर।
खड़े न हो जाना तुम थक कर।
तेरा साथी, राम निरंजन ।
हरदम साथ तुम्हारे।
वो भवसागर पार उतारे ।
गुरु बिन ...

हमराही तुम विकल न होना ।
संकट में धीरज ना खोना ।
अंधियारे में बाँह पकड़ कर ।
सत्गुरु राह दिखाये।
वो भवसागर पार उतारे ।
गुरु बिन ...

Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel

Books related to भजन


चिमणरावांचे चर्हाट
नलदमयंती
सुधा मुर्ती यांची पुस्तके
झोंबडी पूल
सापळा
श्यामची आई
अश्वमेध- एक काल्पनिक रम्यकथा
गांवाकडच्या गोष्टी
खुनाची वेळ
मराठेशाही का बुडाली ?
कथा: निर्णय
लोकभ्रमाच्या दंतकथा
मृत्यूच्या घट्ट मिठीत
पैलतीराच्या गोष्टी
शिवाजी सावंत